प्रांतवाद की आग ने इन दिनों गुजरात को अपनी चपेट में ले रखा है। पिछले दिनों गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर कस्बे पास स्थित एक गांव में 14 महीने की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार युवक के बिहारी होने के चलते गुजरातियों द्वारा इन दिनों गैर-गुजरातियों खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के लोगों पर हिंसक हमले किए जा रहे हैं। स्थानीय समुदाय बड़े पैमाने पर गैर-गुजरातियों को भगाने के लिए उनके खिलाफ सुनियोजित तरीके से हमले कर रहा है। बच्ची से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किए गए रविंद्र साहू नामक एक अकेले व्यक्ति को आधार बना गुजराती लोग तीन राज्यों के लोगों के साथ पिछले कुछ दिनों से जगह-जगह मारपीट कर रहे हैं।
बिहारी मजदूर पर लगे 14 माह की बच्ची के साथ बलात्कार के आरोपों के बाद स्थानीय लोगों के गुस्से को हवा देने और उसे हवा देने का आरोप कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर पर लगाया जा रहा है। दरअसल, बलात्कार का शिकार बच्ची ठाकोर समाज से संबंध रखती है। इसलिए चर्चा इस बात की है कि अल्पेश ठाकोर में अपने वोट बैंक को और ज्यादा मजबूत करने के लिए आग में घी डालने का काम किया। हालांकि, कथित रूप से उनके द्वारा भड़काई गई आग जब शोले में तब्दील हो गई। तब वह शांति की बात करते घूम रहे है। उनपर लग रहे आरोपों को लेकर उन्होंने अपनी सफाई में यह बयान दिया है कि- वह केवल शांति चाहते है और गैर-गुजरातियों पर हुए हिंसक हमलों में उनका कोई हाथ नहीं है।
किसी एक की कथित गलती की सजा उससे सबंधित समूचे समाज को देने की जाहिलियत के चलते गुजरात में पिछले कुछ दिनों में हिंसा के अपराध में 180 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और 23 एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। गुजरातियों द्वारा उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार के लोगों के खिलाफ हो रही जानलेवा हिंसा के चलते इन लोगों में खौफ का माहौल घर कर गया हैं। इसी के चलते पिछले कुछ दिनों में हजारों की संख्या में गैर-गुजराती लोग गुजरात छोड़कर चले गए है। गुजरातियों से मिल रही जान से मारने की धमकियों के बीच कल यानी शनिवार को गुजरात से खचाखच भरी 20 बसें यूपी, बिहार और एमपी के लिए रवाना हुई।
गुजरात छोड़कर अपने-अपने राज्य रवाना हुए ज्यादातर लोग मजदूर है। इतने बड़े पैमाने पर मजदूरों के पलायन से साबरकांठा जिले में स्थित सिरेमिक इंडस्ट्री पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। दरअसल, साबरकांठा जिले में 17 उत्पादन यूनिट्स है और मजदूरों के एकाएक पलायन से सभी यूनिट्स के उत्पादन पर बहुत बुरा असर पड़ रहा हैं। हालात तो इतने खराब हो गए है कि मजदूर ना होने की वजह से 17 में से 5-6 यूनिट्स पर ताला जड़ गया है। इस इसलिए हो रहा है क्योंकि साबरकांठा जिले के सिरेमिक यूनिट्स में काम करने वाले 30 हजार लोगों में से 30 फीसदी आए ज्यादा लोग दूसरे राज्यों से है। इसलिए गैर-गुजराती मजदूरों को रोकने के लिए खुद सिरेमिक इंडस्ट्रीज असोसिएशन द्वारा भी अपील की का रही है और सुरक्षा प्रदान करने का आवश्वासन दिया जा रहा है। जो कि अब तक बेअसर है।