वैश्विक स्वास्थ्य पत्रिका The Lancet Planet Health 2018 में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में होने वाली हर 8 मौत में से एक मौत के लिए एयर पॉल्युशन जिम्मेदार है।
Lancet Study मिश्रित रूप से भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR), भारत के लोक स्वास्थ्य फाउंडेशन(PHFI) और वाशिंगटन स्थित स्वास्थ्य मेट्रिक्स और मूल्यांकन संस्थान और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किया गया।
Lancet Study के मुताबिक, साल 2017 में हुए लगभग 1 करोड़ मौतों में से 12.4 लाख मौतें एयर पॉल्युशन की वज़ह से हुईं। 12.4 लाख मौतों में से आधे लोग की उम्र 70 साल से कम थी। इसमें ज़िक्र किया गया है कि वायु प्रदूषण स्तर अनुमत स्तर से कम होने पर भारत में औसत जीवन प्रत्याशा 1.7 वर्ष अधिक होगी।
आईसीएमआर के निदेशक डॉ बलराम भार्गव ने गुरुवार को निष्कर्ष जारी करते हुए कहा कि भारत में हर आठ मौतों में से एक मौत एयर पॉल्युशन के कारण हो सकता है। एयर पॉल्युशन सीओपीडी (क्रोनिक अवरोधक फुफ्फुसीय बीमारी), मधुमेह, दिल के दौरे, फेफड़ों के कैंसर और स्ट्रोक जैसी बीमारियों के संबंध में मौतों की संख्या के लिए जिम्मेदार है। बच्चों में वायु प्रदूषण का प्रभाव अधिक गंभीर है क्योंकि उनके पास कम प्रतिरक्षा है।
Lancet Study में आगे कहा गया है कि एयर पॉल्युशन से जुड़ी मौतें, आउटडोर पार्टिक्यूलेट एयर पॉल्युशन से 6.7 लाख और हाउसहोल्ड एयर पॉल्युशन के कारण 4.8 लाख थीं। इसने अन्य 1 लाख मौतों के लिए एम्बिएंट ओज़ोन पॉल्युशन जैसे कारकों के को जिम्मेदार ठहराया।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और दिल्ली चार शीर्ष राज्य हैं जो वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। ये राज्य 100 PM2.5 या उससे अधिक स्तर वाले एयर पॉल्युशन की मार झेल रहे हैं।
साल 2017 में उत्तर प्रदेश में एयर पॉल्युशन की वजह से सर्वाधिक मौतें हुई। इस दौरान एयर पॉल्युशन की वज़ह से 2,60,028 लोगों की जान गई। इसके बाद महाराष्ट्र 1,08,038 मौतों और बिहार 96,967 मौतों वाला राज्य रहा। राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल भी इस फेहरिस्त में शामिल है।
Lancet Study ने राज्यों को तीन समूहों में बांटा – निम्न सामाजिक-जनसांख्यिकीय सूचकांक (एसडीआई), मध्यम एसडीआई और उच्च एसडीआई। निम्न एसडीआई वाले राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और असम में एक्सपोजर और बीमारी का कुल बोझ अधिक है।
Lancet Study ने वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले कारकों को रेखांकित नहीं किया लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि कोयला जलने, दहन, औद्योगिक निर्माण, सड़क धूल, कृषि और अपशिष्ट जलने सहित कई कारक प्रदूषण के स्तर में योगदान देते हैं।