भारतीय रेल भारत में लोगों के आने-जाने का मुख्य साधन है। भारतीय रेल को करोड़ों रूपये का राजस्व भी प्राप्त होता होता है, फिर भी भारतीय रेल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कोई कड़े कदम नहीं उठाती है। इसी वजह से सैकड़ों लोग रेल हादसों में मारे जाते हैं। 2013 से 2018 तक कुल 350 बड़े रेल हादसों में 419 यात्रियों की मौत हुई है जबकि 1024 यात्री जख्मी हुए हैं। ऐसी जानकारी सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के अंतर्गत प्राप्त हुई है।
RTI कार्यकर्ता शकील अहमद शेख ने रेलवे बोर्ड से 2013 से 2018 तक की जानकारी मांगी थी कि कुल कितने रेल हादसे हुए है और रेल हादसों में कुल कितने यात्रियों की मृत्यु हुई है। इसमें जख्मी लोगों और इन हादसों में रेलवे को हुए नुकसान की भी जानकारी मांगी थी। इस सन्दर्भ में रेलवे बोर्ड के सूचना अधिकारी तथा उप निदेशक/संरक्षा संजोय अब्राहम ने शकील अहमद शेख को सूचना उपलब्ध कराई है।
मिली जानकारी के अनुसार, अप्रैल 2013 मार्च 2018 तक कुल 350 बड़े रेल हादसे हुए है। जिसमे कुल 419 यात्रियों की मौत हुई है और 1024 यात्री जख्मी हुए हैं। इन रेल हादसों में कुल 282 करोड़ 78 लाख की क्षति हुई है। इनमें रेल टकराने, गाड़िया पटरी से उतरना/पलटना तथा आग लगने की घटनाए शामिल है।
वर्षानुसार मौत/जख्मी यात्री/ दुर्घटनाए तथा क्षति लागत:
2013-2014 में कुल 64 रेल दुर्घनाए, 41 यात्रिओं की मृत्यु, 79 यात्री जख्मी, 38 करोड़ 2 लाख की क्षति।
2014-2015 में कुल 74 रेल दुर्घनाए, 119 यात्रियों की मृत्यु, 322 यात्री जख्मी , 72 करोड़ 8 लाख की क्षति।
2015-2016 में कुल 68 रेल दुर्घनाए, 36 यात्रियों की मृत्यु, 101 यात्री जख्मी, 59 करोड़ 24 लाख की क्षति।
2016-2017 में कुल 84 रेल दुर्घनाए, 195 यात्रियों की मृत्यु, 346 यात्री जख्मी , 62 करोड़ 29 लाख की क्षति।
2017-2018 में कुल 60 रेल दुर्घनाए, 28 यात्रियों की मृत्यु, 176 यात्री जख्मी, 51 करोड़ 15 लाख की क्षति।
90 प्रतिशत दुर्घटनाए गाड़ी पटरी से उतरना/पलटने से हुई है तथा 6 प्रतिशत दुर्घटनाए रेल टकराने से हुई है। वही 4 प्रतिशत दुर्घटनाए आग लगने से हुई हैं। RTI कार्यकर्ता शकील अहमद शेख के अनुसार, रेल प्रशासन जब यात्रियों से सुरक्षा शुल्क लेता है, तो फिर सुरक्षा के उपाय क्यों नहीं किये जाते हैं। रेलवे की जिम्मेदारी है कि वह अपने ग्राहकों/ यात्रियों को सुरक्षित यात्रा प्रदान करे।